मैं औरत हूँ,
मेरे रूप अनेक ,
निर्मल हूँ मैं,
कोमल हूँ मैं,
परेम की प्रतिबिम्ब मैं,
आस्था हूँ मैं
विश्वास हूँ मैं,
फिर भी परेशान हूँ मैं।
माँ भी मैं,
बेहेन भी मैं,
पत्नी भी मैं,
प्रेमिका भी मैं,
फिर अकेली क्यों हूँ मैं?
प्रेम दीवानी राधा भी मैं,
देश प्रेमी झाँसी की रानी मैं,
लोक प्रेमी मदर टेरेसा मैं,
फिर भी पहचान ढून्ढ रही हूँ मैं।
तू औरत हैं कमज़ोर नहीं,
दुर्गा भी तू,
काली भी तू,
दो शब्द “माँ ” तू,
जननी तू, पालनहार तू,
जीवन का आधार तू,
रिचेता हैं इस संसार की तू।
तू है माहान!!
तेरी यह पहचान,
तुझे प्रणाम,
तू औरत हैं।
– रेनू तिवारी
I am a woman,
I am a woman.
My forms are many,
I am pure,
I am gentle,
I am a reflection of love,
I am your faith,
I am your truth,
Still, I am not at peace.
I am a mother,
A sister too,
Also a wife,
And a lover,
Why then am I alone?
I am Radha, the one madly in love
I am Jhansi, the patriot
I am Mother Teresa too,
But I am still in search of an identity.
You are a woman, you are not weak,
You are Durga,
And Kali too!
You are “THE MOTHER”,
You are the Earth and the Nurturer
You are the basis of Life
You are the backbone of society.
You are Greatness!
This is your identity,
Salutations to you,
You are a WOMAN!